D Gukesh the 18 year old chess
भारतीय शतरंज खिलाड़ी डी. गुकेश ने हाल ही में इतिहास रचते हुए सबसे कम उम्र में वर्ल्ड चेस चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। 18 वर्षीय गुकेश ने 12 दिसंबर 2024 को सिंगापुर में हुए फाइनल मुकाबले में चीन के डिंग लिरेन को 7.5-6.5 के स्कोर से हराकर यह उपलब्धि हासिल की। डी गुकेश का जन्म तमिलनाडु के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ।
उनके पिता डॉ. राजनीकांत एक ईएनटी सर्जन हैं और मां पद्मावती एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं। गुकेश को बचपन से ही बौद्धिक खेलों में रुचि थी, और उन्होंने 7 साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया। गुकेश की उपलब्धियां:
1. टाटा स्टील चेस टूर्नामेंट 2024:
जनवरी 2024 में, गुकेश ने इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में 8.5/13 अंक हासिल कर चार खिलाड़ियों के साथ पहला स्थान साझा किया। हालांकि, फाइनल टाईब्रेक में उन्हें वेई यी से हार का सामना करना पड़ा। चेन्नई के निवासी डी गुकेश ने 7 वर्ष की आयु में शतरंज खेलना शुरू किया और उनकी प्रारंभिक कोचिंग भास्कर नागैया ने की थी। बाद में, विश्वनाथन आनंद ने भी उन्हें मार्गदर्शन प्रदान किया। इस ऐतिहासिक जीत के साथ, डी गुकेश ने भारत को गर्वित किया है और शतरंज की दुनिया में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। डी गुकेश, तमिलनाडु के चेन्नई से ताल्लुक रखने वाले 18 वर्षीय भारतीय ग्रैंडमास्टर हैं। उन्होंने बेहद कम उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया और 12 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल किया।
डी गुकेश का पूरा नाम गुकेश डोममाराजू है और उन्हें भारत के शतरंज के भविष्य के रूप में देखा जाता है। फाइनल में उन्होंने चीन के मौजूदा विश्व चैंपियन डिंग लिरेन को कड़े मुकाबले में हराकर विश्व चैंपियन का खिताब अपने नाम किया।इस जीत के साथ, डी गुकेश ने न केवल विश्व चैंपियन बनने का सपना पूरा किया, बल्कि 18 साल की उम्र में यह उपलब्धि हासिल करके सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियन का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। गुकेश ने 7 साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया। उनके पहले कोच भास्कर नागैया थे,
जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचानकर उन्हें प्रशिक्षित किया। बाद में, भारत के महानतम शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद ने भी उन्हें मार्गदर्शन प्रदान किया। विश्व चैंपियनशिप के दौरान, गुकेश ने कई दबावपूर्ण मुकाबलों में धैर्य और रणनीति का प्रदर्शन किया। उन्होंने क्वार्टरफाइनल और सेमीफाइनल में भी शीर्ष खिलाड़ियों को हराया। सिंगापुर प्रदर्शन में फाइनल में डिंग लिरेन के खिलाफ खेलते हुए गुकेश ने आक्रामक और रचनात्मक खेल दिखाया।
उन्होंने महत्वपूर्ण चालों के साथ लिरेन को मात दी डी गुकेश की यह जीत युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।इस जीत ने भारत को शतरंज की दुनिया में शीर्ष स्थान पर पहुंचा दिया है। डी गुकेश ने अपनी जीत के बाद कहा कि वे अभी भी सीख रहे हैं और उनका लक्ष्य शतरंज की दुनिया में नए रिकॉर्ड बनाना है।
गुकेश के करियर में भारत के पूर्व विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद का बड़ा योगदान रहा है। आनंद ने गुकेश को मार्गदर्शन दिया और उनकी प्रतिभा को निखारने में मदद की। डी गुकेश ने अपनी मेहनत, लगन और प्रतिभा से यह ऐतिहासिक जीत हासिल की है। उनकी कहानी हर युवा के लिए प्रेरणादायक है। भारत को इस उपलब्धि पर गर्व है।